हिमाचल प्रदेश के विद्युत कर्मचारियों के संघ ने अपने प्रदेश महासचिव हीरालाल वर्मा के नेतृत्व में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें संघ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष पवन मोहल भी शामिल थे। इस महत्वपूर्ण घटना में सभी वरिष्ठ कर्मचारी नेता उपस्थित थे।
संघ के प्रदेश महासचिव ने प्रदेश प्रबंधन को बिजली बोर्ड की अर्थव्यवस्था में बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि बोर्ड को चार परियोजनाओं के लिए अनुमति मिलने के बावजूद भी, उनकी कार्यवाही अभी तक शुरू नहीं हुई है। इसके अलावा, बोर्ड में नई कंपनी की स्थापना के बारे में भी चर्चा हो रही है, जिससे उपभोक्ताओं को महंगे दरों पर बिजली मिलेगी।
इसी संदर्भ में, बोर्ड द्वारा चलाई जा रही 3200 करोड़ रुपये की स्मार्ट मीटरिंग प्रोग्राम की बात भी उठाई गई है, जिससे उपभोक्ताओं को महाराष्ट्र की तर्ज पर 19 रुपये के बिल देने की सुविधा होगी।
संघ के प्रदेश महासचिव ने सरकार और बोर्ड प्रबंधन पर निरंतर आरोप लगाते हुए कहा कि बोर्ड के अनियंत्रित प्रबंधन के कारण, कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन में लाला पड़ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड को फ्री बिजली देने से बेहतर है कि उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा प्रदान की जाए।
विद्युत कर्मचारी संघ के इस प्रदर्शन में बोर्ड के 12000 कर्मचारियों ने भी शामिल होकर फ्री बिजली के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है। वे कहते हैं कि उन्हें बिजली बिल का भुगतान करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, और बोर्ड को उन्हें बेहतर सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
इस घटना के बाद, बोर्ड के एमडी पर भी आरोप लगाया गया है, और सरकार से कर्मचारियों के बकाया बिल के क्लेम की मांग की गई है। यह प्रदर्शन संघ के प्रदेश महासचिव के सेवानिवृत्ति के मौके पर आयोजित किया गया था, जिसमें सभी वरिष्ठ कर्मचारी नेता उपस्थित थे।