शीतकालीन सत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा का अंतिम दिन, भोजनावकाश के बाद विपक्ष ने बवाल और हलचल मचाई। विपक्ष व्यवस्था के मुद्दे पर केंद्रित होकर उन्होंने नियम 130 पर चर्चा की मांग की, जो सरकारी नौकरियों को प्रदान करने में असमर्थता और आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाने से संबंधित है। सरकार ने पहले ही हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार पर चर्चा आरंभ की थी।
मुद्दे पर चर्चा करते हुए विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने इस मुद्दे की महत्वपूर्णता पर जोर दिया, कहते हैं कि इस पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए था। जब बेरोजगारों से संबंधित मुद्दे पर नियम 67 को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया था, तो उसे ईमानदारी से लागू किया गया। सतपाल सत्ती और सुखराम चौधरी द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों पर दोनों पक्षों के बीच विस्तृत चर्चा के बाद सदन में प्रस्तुत किए गए।
एक विस्तृत जाँच की आवश्यकता को मजबूती से दिखाते हुए ठाकुर ने कहा कि पहले ही एक दिन पहले इस महत्वपूर्ण विषय पर एक अनुरोध किया गया था। विपक्ष ने चर्चा के लिए दोनों मुद्दों को मिलाने का प्रस्ताव दिया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस पर प्रतिस्तुति करते हुए संशय जताया कि यदि आवश्यक हो तो सत्र को बढ़ाया जाएगा। उन्होंने इसे नकारात्मक मानते हुए कहा कि विधायक सभा में चर्चा कब होनी चाहिए, यह तय करना उचित नहीं है।
मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इसे दोनों मुद्दों को संयोजित करने का सुझाव दिया और कहा कि ये दोनों मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा ने भी इस विचार का समर्थन किया कि दोनों मुद्दों का समाधान किया जा सकता है और सरकार द्वारा किसी भी शैतानी क्रिया की चेतावनी दी। भाजपा के विधायक विपिन परमार ने कहा कि विधानसभा के अध्यक्ष सभी के परिरक्षक हैं।
बेरोजगारी के विषय पर हमीरपुर के चयन आयोग की विचारधारा का पहले ही चर्चा हुआ था। सवालों में देरी की गई थी। इसे ऐसा नहीं होना चाहिए था। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि पहले ही स्क्रूटनी तय हो जाती है। इस पर सुबह में भी विवादास्पद रूप से व्यवस्था का प्रश्न उठाया जा सकता था। बिना हर बात को राजनीतिक रंग देने की चेतावनी देते हुए, विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सदन और उसकी प्रक्रिया ही सर्वोच्च हैं। उन्होंने इस पर इशारा किया कि यदि सदन में एकमति होती है तो मुद्दों को संयोजित किया जा सकता है।
एक और मुद्दे पर बात करते हुए, जयराम ठाकुर ने चिंता जताई कि सदन में कुछ विधायकों के स्टाफ को उनके आवास से बाहर निकालने की हुई है, यद्यपि सत्र जारी है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस पर उत्तर दिया कि यह किसी निचले स्तर के स्टाफ की निर्देश हो सकती है, और यदि आवश्यक हो तो जांच की जाएगी।