हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड पर लगे गंभीर आरोपों ने कार्यालयों के बाहर हंगामे को और बढ़ा दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकारी बोर्ड ने उन्हें दी गई गारंटी को पूरा नहीं किया है और इसके चलते उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला है।
नालागढ़ बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने दिसंबर के महीने के वेतन में गैर-उपस्थिति का विरोध करते हुए कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इस पर, अन्य क्षेत्रों के कर्मचारी भी इस समर्थन में उनके साथ जुड़ गए।
कर्मचारियों का मुताबिक, हिमाचल कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि 300 यूनिट तक की बिजली मुफ्त मिलेगी, लेकिन इस वादे को पूरा करने में अब तक विघ्न आया है। इसके बावजूद, पूर्व भाजपा सरकार के दौरान 125 यूनिट तक की बिजली मुफ्त मिल रही थी, जिसका असर अब कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।
नालागढ़ बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन के तहत बोर्ड और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने बिजली बोर्ड को निजीकरण का भी आरोप लगाया, कहते हैं कि पहले बोर्ड सरकारों को लोन देता था, लेकिन अब गलत नीतियों के चलते बोर्ड को कंगाल कर दिया गया है।
इस विवाद से जुड़े हुए एक कर्मचारी ने कहा, “हमने अपने काम की बहाली के लिए कई बार अधिकारियों से मिला, परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। हम अपने हक के लिए सड़क पर उतर आए हैं।”
इस मुद्दे पर सरकारी अधिकारीयों का कहना है कि मुद्दा गंभीर है और इसे तत्काल सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों को उनके वेतन में हुई देरी का कारण पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए और उन्हें शांति बनाए रखने के लिए सभी सम्भावनाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।
समर्थन में उतरे बड़े संख्या में कर्मचारी ने कहा कि अगर उनके मुद्दे का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे और भी बड़े पैम्पलेट और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।